रविवार, 4 अक्टूबर 2020

सत्य के प्रयोग अथवा आत्मकथा

मोहनदास कर्मचन्द गाँधी को जानने-समझने के लिए उनकी आत्मकथा से बढ़कर कोई अन्य साधन नहीं है। इस पुस्तक में गाँधी जी ने अपने जीवन की अनेक घटनाओं का सटीक वर्णन किया है। अपनी गलतियों या शर्मनाक घटनाओं को भी छिपाने का कोई प्रयास नहीं किया गया है। वस्तुतः इससे बढ़कर सत्य का प्रयोग और क्या हो सकता है!

सत्य के प्रयोग अथवा आत्मकथा महात्मा गाँधी के जन्म से लेकर 1921 की कथा है। इसका प्रकाशन 1925 से 1927 के बीच नवजीवन में साप्ताहिक किस्तों में हुआ। मूल रूप में गुजराती में लिखी आत्मकथा का हिन्दी अनुवाद गाँधी के सहयोगी काशिनाथ त्रिवेदी ने किया है। विश्व के धार्मिक और आध्यात्मिक गुरुओं की एक समिति ने इस पुस्तक को 20वी शताब्दी की सर्वोत्तम 100 आध्यात्मिक पुस्तकों में शामिल है।

यह पुस्तक इन्टरनेट पर मुफ्त उपलब्ध है । 

सत्य के प्रयोग (पीडीएफ) को यहाँ से डाउनलोड कर सकते है।

ऑनलाइन पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।



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