रविवार, 4 अक्टूबर 2020

धर्म भारत की प्रधान आवश्यकता नहीं

 विश्व धर्म महासभा, शिकागो, 20 सितंबर 1893

ईसाइयों को सम्यक आलोचना सुनने के लिए सदैव तैयार रहना चाहिए, और मुझे विश्वास हैं कि यदि मैं आप लोगों की कुछ आलोचना करूँ, तो आप बुरा न मानेंगे। आप ईसाई लोग जो मूर्तिपूजकों की आत्मा का उद्धार करने की निमित्त अपने धर्म-प्रचारकों को भेजने के लिए इतने उत्सुक रहते हैं, उनके शरीरों को भूख से मर जाने से बचाने के लिए कुछ क्यों नहीं करते? भारतवर्ष में जब भयानक अकाल पड़ा था, तो सहस्रों और लाखों हिन्दू भूख से पीडित होकर मर गये; पर आप ईसाइयों ने उनके लिए कुछ नहीं किया। आप लोग सारे हिंदुस्तान में गिरजे बनाते हैं; पर पूर्व का प्रधान अभाव धर्म नहीं हैं, उसके पास धर्म पर्याप्‍त हैं – जलते हुए हिंदुस्तान के लाखों दुःखार्त भूखे लोग सूखे गले से रोटी के लिए चिल्ला रहे हैं। वे हम से रोटी माँगते हैं, और हम उन्हें देते हैं पत्थर!  भूखे लोगों को धर्म का उपदेश देना उनका अपमान करना हैं, भूखों को दर्शन सिखाना उनका अपमान करना हैं। भारतवर्ष में यदि कोई पुरोहित धन-सामग्री प्राप्ति के लिए धर्म का उपदेश करें, तो वह जाति से च्युत कर दिया जाएगा और लोग उस पर थूकेंगे। मैं यहाँ पर अपने दरिद्र भाइयों के निमित्त सहायता माँगने आया था, पर मैं यह पूरी तरह से समझ गया हूँ कि  मूर्तिपूजकों के लिए ईसाई-धर्मालंबियों से, और विशेषकर उन्हीं के देश में, सहायता प्राप्त करना कितना कठिन हैं ।

1 टिप्पणी:

  1. LuckyClub: Casino site - Live Roulette | Live Dealer
    LuckyClub Casino is Live Dealer Roulette. Read about luckyclub the most popular casino games, casino welcome offers, casino bonuses, Roulette, and more!

    जवाब देंहटाएं